आज मुझे भी देशप्रेम पर कविता लिखनी है ,
जिस भाव में हम सब बह जायें वो सरिता लिखनी है ,
आज मुझे ख्याल आया है भगत की क़ुरबानी का ,
फ़ासी के फंदे पर झूलती उस मदमस्त जवानी का ,
आज दिल कुछ सहम गया उस विधवा की आवाज से ,
शरहद पर जिसके शौहर ने जान गवाई नाज़ से ,
आज मुझे याद आयी है भूखे नंगे चेहरों की ,
दंगो की चीखो में गुम खून से लथपथ शहरों की,
आज मुझे दिख रहा है खून अपहरण बलात्कार ,
औरतों बच्चों पर होता शोषण और वो अत्याचार ,
इसीलिए मुझे देशप्रेम पर कविता लिखनी है ,
जिन शब्दों में 'जय हिंद' दिखे वो सरिता लिखनी है ...
पर
ये भुखमरी गरीबी और लाचारी बीमारी ,
कल शायद मैं ये सब फिर भूल जाऊँगा ,
उसकी ही बातों में,उसकी ही यादों में ,
पहले की तरह ,फिर से खो जाऊंगा,
उसके हुस्न की नुमाइश उकेरुंगा ,
राहों में उसके सपने बिखेरूँगा ,
वो मीठी मुस्कान वो मस्ती भरी चाल ,
भीगे भीगे होंठ वो रेशमी से बाल ,
ऐसे ही कुछ लफ्जों में इक शायरी बनाऊंगा
और उसके क़दमों में मैं प्यार से सजाऊंगा ..
साल भर की देशभक्ति मुझे आज ही करनी है ,
इसीलिए मुझे देशप्रेम पर कविता लिखनी है ....
इसीलिए मुझे देशप्रेम पर कविता लिखनी है .......
अरे ये क्या पढने लगे भाई ,भूल गये तुम्हे आज "रंग दे बसंती" देखनी है, और शायद मुझे भी ;)
खैर आज के लिए ही सही पर 'जय हिंद ' ।।
जिस भाव में हम सब बह जायें वो सरिता लिखनी है ,
आज मुझे ख्याल आया है भगत की क़ुरबानी का ,
फ़ासी के फंदे पर झूलती उस मदमस्त जवानी का ,
आज दिल कुछ सहम गया उस विधवा की आवाज से ,
शरहद पर जिसके शौहर ने जान गवाई नाज़ से ,
आज मुझे याद आयी है भूखे नंगे चेहरों की ,
दंगो की चीखो में गुम खून से लथपथ शहरों की,
आज मुझे दिख रहा है खून अपहरण बलात्कार ,
औरतों बच्चों पर होता शोषण और वो अत्याचार ,
इसीलिए मुझे देशप्रेम पर कविता लिखनी है ,
जिन शब्दों में 'जय हिंद' दिखे वो सरिता लिखनी है ...
पर
ये भुखमरी गरीबी और लाचारी बीमारी ,
कल शायद मैं ये सब फिर भूल जाऊँगा ,
उसकी ही बातों में,उसकी ही यादों में ,
पहले की तरह ,फिर से खो जाऊंगा,
उसके हुस्न की नुमाइश उकेरुंगा ,
राहों में उसके सपने बिखेरूँगा ,
वो मीठी मुस्कान वो मस्ती भरी चाल ,
भीगे भीगे होंठ वो रेशमी से बाल ,
ऐसे ही कुछ लफ्जों में इक शायरी बनाऊंगा
और उसके क़दमों में मैं प्यार से सजाऊंगा ..
साल भर की देशभक्ति मुझे आज ही करनी है ,
इसीलिए मुझे देशप्रेम पर कविता लिखनी है ....
इसीलिए मुझे देशप्रेम पर कविता लिखनी है .......
अरे ये क्या पढने लगे भाई ,भूल गये तुम्हे आज "रंग दे बसंती" देखनी है, और शायद मुझे भी ;)
खैर आज के लिए ही सही पर 'जय हिंद ' ।।
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